काशीकान्त मिश्र "मधुप" (1906-1987)
’राधाविरह’ (महाकाव्य) पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त मैथिलीक प्रशस्त कवि आ मैथिलीक प्रचार-प्रसारक समर्पित कार्यकर्ता ’झंकार’ कवितासँ क्रान्ति गीतक आह्वान कएलनि । प्रकृति प्रेमक विलक्षण कवि । ’घसल अठन्नी कविताक लेल कथ्य आ शिल्प-संवेदना—दुहू स्तर पर चरम लोकप्रियता भेटलनि।
मधुप जीक कवितामय चिट्ठी (अप्रकाशित पद्य-डॉ.पालन झाक सौजन्यसँ)
चि. श्री चन्द्रकान्त मिश्र शुभाशीर्वाद पाबि
अहाँकेँ कुशल थिकहुँ सह्लाद
गामहुमे परिवार अपन आनन्द
अहींक हेतु छल चिन्तित चित्त अनन्त।
घेंट-पेट ओ तैठ पेटसँ हीन
उदय रहए अछि मनहि मन किछु खिन्न।
मंगलमय श्री मंगल झा सूरधाम
काशीवासी ’तजि वनता’ आराम।
अहूँ हुनक सेवामे मेवा छी चखैत
छी तहिठाम जतए केओ नहि अछि झखैत।
(चन्द्रकान्त मिश्र-मधुप जीक छोट भाइ
उदय- चन्द्रकान्त मिश्रक बालक
चन्द्रकान्त मिश्रक विवाह मंगलदत्त झा, गाम हरौलीक कन्यासँ।
मंगल झाक काशी प्रवासमे लिखल पत्र, सूर्यक उत्तरायणमे गेलापर मृत्युक वरण, संगमे उदय आ मंगल झाक पौत्र श्री प्रद्युम्न (कुमार झा सेहो संगमे रहथि।)
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