अबू सुथार,
गुजराती कवि
गुजरातीसँ अंग्रेजी अनुवाद हेमांग देसाई द्वारा। अंग्रेजीसँ मैथिली अनुवाद गजेन्द्र ठाकुर द्वारा।
गृहमोह
गंध पहिल बुन्नीक
आ हम
बैसि आ
पसारी एक-दोसराक दिस
भेदित पड़पड़ाइत बुन्नीक बुन्द
बलुआही माटि भेल
यथार्थ छननी
आएल प्रखर रौदक फोका
पाथरक चामपर
अविलम्ब
झझायत
छातक खपराक भूर
धारक संग उगडुम करत
नवतुरिआ बरद कछेरपर नाचत।
सभटा गलीमे
बरद सभ आनत पानि
सोलह टा पालो बान्हि गरदनिमे
सभ घरमे
धरनि सभ नहाएत जी भरि
देबालपर
गाछक छातीपर
स्मृतिक शिलालेखपर
हदसैत पानि
खोलत
हस्ताक्षर भगवानक पूर्वजक।
बरखाक संगे
चमकैत आकाश
माएक कोमल तरहत्थी।
सूर्य करत आच्छादित
वृक्षक
शाखाक
पातक
पँखुडिक।
टाँगल पक्षिक आवास
सभ गृहक बाहर
मयूर सभ करत नृत्य।
जेना प्रिय नव वधु
मयूरीक माथपरक जलक घट
गामक दोगहीसँ निकलत
अनबा लए पानि
छिटैत नहक आकारक झील
वैतरणी डुमाएत
रीढ़युक्त नागफनीक पात।
संग
जीव आ शिव
करत अष्टमी आ एकादशी
चन्द्रमा उगत
चुट्टीक कटगर पीठपर
आ
चाली सभ बहराएत
आडम्बरसँ राजसी मुकुट धेने
सत्ये
किछु अकठ अछि हमरा सभक भाग्यमे
आइ
आइ
गंध पहिल अछारक
आ हम
बैसि आ
पसरैत एक दोसरामे।
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